Shayrane sir ji |
कुछ बाकी है शायद अब भीतेरे मेरे दरमियान
यूं ही नहीं मुझे अब तक तू याद आता है
अपने तो हजारों है हमारे लेकिन क्यूं
एक तेरे लिए ही मेरे लब पर फरियाद आता है
मुझे चाहने वालों की भीड़ में मैं धिरा हूं लेकिन
उन सब का खयाल मुझको तेरे बाद आता है
बिन भीगे अब ये पल्के सोती ही नहीं
तेरा दर्द भी अब मुझको बड़ा काम आता है
कोशिशें तो लाख करते हैं हम की तेरे जिक्र न होने दूं
मगर हर शायरी में मेरे तेरा नाम आता है
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