Shayrane sir ji |
आज फिर वो मुझे अचानक जगा गई
बीते हुए लम्हों की एक झलक सी दिखा गई
यूंही आवाज़ गूंजी थी या पुकारा था उसने
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई
सोती नहीं अब आंखें निंदो को इतना झकझोरा गया है
रुकते नहीं अब आंसू आंखों को इतना निचोड़ा गया है
जाने कैसे बेइजाजत नींदों में मेरे आ गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई
कितनी चाहत है इस दिल में ये खबर उसे होने न दूं
उसकी चाहतों का असर बेअसर होने दूं
वो क्या था जो मेरे बेचैन दिल के धड़कनों को बढ़ा गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई
उससे नज़र मिलाके हमने खुद को खो दिया
थे मिले जो ज़ख्म उसको आंसुओं से धो दिया
जो लिख रहा हूं आज मैं वो शायरी सना गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई
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