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शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई

Written By Shayrane Sir ji on Wednesday, February 27, 2019 | February 27, 2019

Gazal,sir ji
Shayrane sir ji
आज फिर वो मुझे अचानक जगा गई
बीते हुए लम्हों की एक झलक सी दिखा गई
यूंही आवाज़ गूंजी थी या पुकारा था उसने
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई

सोती नहीं अब आंखें निंदो को इतना झकझोरा गया है
रुकते नहीं अब आंसू आंखों को इतना निचोड़ा गया है
जाने कैसे बेइजाजत नींदों में मेरे आ गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई

कितनी चाहत है इस दिल में ये खबर उसे होने न दूं
उसकी चाहतों का असर बेअसर होने  दूं
वो क्या था जो मेरे बेचैन दिल के धड़कनों को बढ़ा गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई

उससे नज़र मिलाके हमने खुद को खो दिया
थे मिले जो ज़ख्म उसको आंसुओं से धो दिया
जो लिख रहा हूं आज मैं वो शायरी सना गई
शायद वो उसकी याद थी जो मुझे रुला गई

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Shayrane Sir ji

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