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बादलों कि छाओं में,उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

Written By Shayrane Sir ji on Monday, February 4, 2019 | February 04, 2019

Kavita,shayari
Shayrane sir ji
Kavita

बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं
धरती के सीने में ,
धड़कने वाला इक दिल बन जाऊं

जन जन को खुशियां दे दे जो,
वो शुभ संदेश सभी का बन जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

है चाह यही कि दुःख लेके,
हमदर्द किसी का बन जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

कांटों को चुन के राहों से,
हमराह किसी का बन जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

मजदूर के जलते तन पर,
मैं वृक्ष की छाया बन जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

निर्धन के अंधेरे घर में,
मैं दीपक बन के जल जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

दिन दुखियों का मैं दुःख ले लूं,
अंधों की लाठी बन जाऊं
बादलों कि छाओं में,
 उड़ने वाली पंक्षी बन जाऊं

Shayrane sir ji


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