Sir ji |
दिया है जो दर्द मोहब्बत में मुझको
जमाने को मैं ना बताऊंगा
जो चुभता हो इन आंखों को तेरी
वो बन करके तिनका मैं आऊंगा
इन आंखों में तेरी बसता था मैं
दिल में किसी और को बसाया था तूने
मैं सिरफिरे आशिक की तरह तुझसे
ना मिल करके तुझको सताऊंगा
जो चुभता हो इन आंखों को तेरी
वो बन करके तिनका मैं आऊंगा
देता था वो दर्द दिल को तुम्हारे
अपनी आंखों से कतरा कतरा मुझे बहाया था तूने
तेरी बेवफाई के किस्से मैं ना किसीको सुनाऊंगा
जो चुभता हो इन आंखों को तेरी
वो बन करके तिनका मैं आऊंगा
0 comments:
Post a Comment