Shayrane sir ji |
एक दफा मुड़के देखो ज़रा तुम
तीर अपनी नज़र की चला दो
तेरा साथ नहीं मैंने मांगा
तेरा हाथ नी मैंने मांगा
मेरी खातिर इतना बहुत है
मुझको अपना दीवाना बना लो
लो ये माना कि मैंने खता की
कि जब भी चाहा तुम्हे मैंने चाहा
एक दुआ मेरी खातिर भी कर लो
शौक़ से फिर मुझे बद्दुआ दो
हो सके तो मेरी आंखों से पूछो
किस कदर मैंने चाहा है तुमको
एक दफा के लिए अपना कह लो
शौक़ से फिर मुझे तुम दगा दो
क्या कहूं क्या सितम मैंने झेला
चाहतों में तेरी मैं अकेला
एक दफा मुस्कुरा के तो देखो
शौक़ से फिर ज़हर तुम पिला दो
एक दफा मुड़के देखो ज़रा तुम
तीर अपनी नज़र की चला दो
Shayrane sir ji
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